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उत्तरप्रदेश में माफिया डॉन अतीक अहमद के आतंक का बड़ी बेरहमी से अंत किया गया। तीन हत्यारे मीडियाकर्मी के रूप में आए और 22 सेकंड में 18 गोलियां दागकर अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करदी। अतीक को आठ और अशरफ के शरीर को नौ गोलियां लगी थीं। लेकिन मीडिया के कैमरों के सामने हुई इस हत्या ने पुलिस के सामने सवालों की लंबी लाइन खड़ी कर दी है। इन सवालों का जवाब तलाशना यूपी पुलिस और जांच आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनगई है।
अतीक और अशरफ की मौत के बाद उठे सवाल:
माफिया डॉन से नेता बने अतीक अहमद की हत्या को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि माफिया अतीक को क्यों मारा गया? पुलिस की FIR से जो जवाब सामने आए हैं, उन पर कोई यकीन नहीं कर पा रहा है कि तीन बदमाश सिर्फ राज्य का बड़ा माफिया बनने के लिए एक माफिया दूसरे माफिया को मारते हैं।
अतीक और अशरफ की हत्या के लिए हथियार कहाँ से आये:
मीडिया कर्मी के पास फॉरिन से मंगवाए हुए हथियार कहाँ से आये? अतीक व अशरफ की हत्या करने वाले आरोपी बांदा निवासी लवलेश तिवारी, हमीरपुर निवासी मोहित उर्फ सन्नी सिंह व कासगंज निवासी अरुण कुमार मौर्य के पास से आधुनिक व महंगे हथियार बरामद किए गए हैं। तुर्की निर्मित जिगाना, गिरसन और 30 कैलिबर की एक देसी पिस्तौल बरामद की गई है। तीनों अपराधियों का परिवार माध्यम वर्ग के हने के बाद इन अपराधियों के पास ये हथियार कहां से आए?
कैसे मिले तीनों:
लवलेश, सनी और अरुण अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। बिना एक सामान्य मकसद के तीनों एक साथ कैसे आए? इस तीनो की दोस्ती कब हुई और इस घटना को अंजाम दिया? इन सवालों के बीच एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि क्या इन तीनों के पीछे कोई और मास्टरमाइंड है?
क्या इंटेलिजेंस फेल हुआ:
अतीक और अशरफ की हत्या के मामले में प्रयागराज पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में कहा गया है कि अतीक को साबरमती जेल से लाए जाने के बाद ही लवलेश, सन्नी और अरुण प्रयागराज आए थे। वे लगातार अतीक और अशरफ की रेकी कर रहे थे। मीडियाकर्मी के भेष में उसने अतीक के काफिले का पीछा भी किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रयागराज में इतनी बड़ी साजिश रची जा रही थी; तब इंटेलिजेंस क्या कर रहा था?
क्यों कमजोर था अतीक और अहमद का सुरक्षा घेरा:
अतीक के सुरक्षा घेरे को लेकर भी सवाल खड़ा हो गया है। साबरमती से प्रयागराज लाए जाने के समय से ही अतीक और अहमद ने सरकार से अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। उनकी जान को खतरा होने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। खतरा देखते हुए भी पुलिस का सुरक्षा घेरा इतना कमजोर कैसे था कि हत्यारे अतीक और अशरफ तक पहुंच गए? हत्यारों के पकड़े जाने के बाद भी यह सवाल जोर-शोर से उठाया जा रहा है।
सुपारी मारने की भी चर्चा:
अतीक और अशरफ की हत्या के लिए सुपारी दिए जाने की बात भी सामने आ रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तीनों हत्यारों को अतीक और अशरफ को मारने की सुपारी मिली थी। तीनों को 10-10 लाख रुपये देने की बात सामने आई है। अगर सुपारी दी जाती तो हत्यारों की प्लानिंग इतनी कमजोर कैसे हो सकती है? कोई सुपारी किलर अपनी जान जोखिम में डालकर मीडिया के कैमरों के सामने अतीक और अशरफ को मारने के लिए क्यों जाएगा?
अबतक कुल 17 पुलिसकर्मी को ससपेंड किया जा चूका है। अब देखना ये है की इन सवालो के जवाब क्या सरकार और पुलिस दे पायेगी? या एक बार फिरसे ये फाइल भी कुछ सालो के बाद बाकि फैलो की तरह धूल खायेगी......
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